“माता सीता” के नाम पर रखा उत्तराखंड की धामी सरकार ने इस संरक्षित वन क्षेत्र का नाम
उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक अवसर पर उत्तराखंड के पवलगढ़ कंजर्वेशन रिज़र्व का नाम बदल कर अब सीतावनी कंजर्वेशन रिज़र्व रख दिया है।

Pushkar Dhami Government of Uttarakhand has changed the name of Pavalgarh Conservation Reserve of Uttarakhand to Sitavani Conservation Reserve on the historic occasion of Shri Ram Mandir Pran Pratistha.
देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक अवसर पर उत्तराखंड के पवलगढ़ कंजर्वेशन रिज़र्व का नाम बदल कर सीतावनी कंजर्वेशन रिज़र्व रख दिया है।
सीतावनी कंजर्वेशन रिज़र्व में
► माँ सीता का पौराणिक मंदिर और
► महा ऋषि वाल्मीकि आश्रम है
जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है और यहां जाने की अनुमति वन विभाग देता है।
उत्तराखंड की धामी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जिसने एक संरक्षित क्षेत्र का नाम माँ सीता के नाम पर रखा है।
ये जंगल 5824.76 हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है
जो टाईगर, हाथी, पक्षी व तितलियों के लिए प्रसिद्ध हैं ।
यहां बड़ी संख्या में पर्यटक और तीर्थ यात्री भी जाते है।
इस जंगल को सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किए जाने की मांग, राम नगर और आसपास के कई छोटे बच्चो ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री धामी से की थी,
जिस पर वन विभाग के अधिकारियों को सीएम धामी ने निर्देशित किया था, जिस पर आज शासनादेश जारी कर दिया गया।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि प्रभु राम का उत्तराखंड की देव भूमि से संबंध रहा है
रामनगर से 22 किलोमीटर दूर सीतावनी के नाम से एक प्राचीन मंदिर है
मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम लक्ष्मण और सीता यहां आए थे ऐसा माना जाता है कि यहां सीता माता ने स्नान किया था
आज भी इस स्थान पर जल की तीन धाराएं बह रही हैं इसकी विशेषता यह बतलाई जाती है कि जहां गर्मियों में इसका जल ठंडा होता है तो वहीं सर्दियों में इसका जल गर्म होता है
इस क्षेत्र को लेकर यह भी कहा जाता है कि भगवान राम द्वारा सीता माता का त्याग करने के बाद वह किसी क्षेत्र में रही थी और यहीं पर लव कुश का भी जन्म हुआ था
इसी क्रम में पवल गढ़ कंजर्वेशन रिज़र्व का नाम बदल कर अब सीतावनी किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस बारे में कई बच्चों ने व स्थानीय लोगों द्वारा पत्र लिख कर अनुरोध भी किया था उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है।