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3 सालों में उत्तराखंड पुलिस पर फायरिंग की हुई 27 घटनायें ,सबक लेते हुये जारी किये ये निर्देश

There were 27 incidents of firing on Uttarakhand Police in 3 years, taking lessons these instructions were issued

देहरादून ( रजनीश प्रताप सिंह तेज ) : अपर पुलिस महानिदेशक,अपराध एवं कानून व्यवस्था ए.पी. अंशुमान ने बताया कि मुख्यालय स्तर पर समीक्षा से ज्ञात हुआ कि

विगत 03 वर्षों में अपराधियों की तलाश/गिरफ्तारी तथा अन्य सरकारी कार्य के दौरान पुलिस पर फायरिंग की लगभग 27 घटनायें घटित हुयी हैं,

जिसमें 05 पुलिस कार्मिक चोटिल हुये हैं।

इसी प्रकार थाना रायपुर जनपद देहरादून से सम्बन्धित अभियोग में वांछित अभियुक्त की मसूरी थाना क्षेत्रान्तर्गत गिरफ्तारी के दौरान

आरोपी द्वारा 04 सदस्यीय पुलिस टीम में से एक सब-इंस्पेक्टर पर फायर करने की घटना में

यदि पूर्ण तैयारी एवं सतर्कता से दबिश दी जाती

तो पुलिस पर हुई फायर की घटना को रोका जा सकता था

और मौके से ही आरोपी को गिरफ्तार भी किया जा सकता था।

इसी संदर्भ में पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड के द्वारा अनुमोदन दिए जाने के बाद कुछ निर्देश जारी किये गए हैं

ये निर्देश किसी वांछित व्यक्ति अथवा अपराधी की दबिश अथवा गिरफ्तारी के दौरान पुलिस टीम पर सम्भावित फायर/हमलों से बचाव को लेकर है

उत्तराखंड के सभी जिलों,जीआरपी,STF प्रभारियों हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किये गये हैं

सामान्य निर्देशः-

 

1. पुलिस लाईन में आवश्यक उपकरण बुलेट प्रुफ जैकेट, अस्त्र/शस्त्र/बुलेट तथा प्रोटेक्टिव गेयर आदि पर्याप्त मात्रा में रखे जायें।

2. पुलिस लाईन से जनपद के थानों में बुलेट प्रुफ जैकेट, अस्त्र/शस्त्र/बुलेट तथा प्रोटेक्टिव गेयर आदि उपकरण आवंटित किये जायें।

3. उपरोक्त उपकरणों का पुलिस लाईन एवं थानों में समय-समय पर निरीक्षण किया जाये।

4. सभी अस्त्र/शस्त्र हैण्डलिंग का प्रशिक्षण पुलिस लाईन एवं थानों में नियुक्त कार्मिकों को नियमित रूप से दिया जाये तथा इसमें अच्छा हैण्डलिंग करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किया जाये।

5. आवश्यक रूप से सभी कार्मिकों को वार्षिक फायरिंग भी करायी जाये।

6. पुलिस लाईन एवं थाना आदि में नियुक्त कार्मिकों के अनुशासन तथा शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता पर ध्यान दिया जाये।

दबिश से पूर्व की तैयारीः-

 

1. अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु दबिश से पूर्व पर्यवेक्षण अधिकारी सहित उच्चाधिकारियों को तत्काल सूचित किया जाये

तथा आवश्यक पुलिस बल को Short Range/Long Range अस्लाहों तथा बुलेट प्रुफ जैकेट के साथ ही दबिश हेतु रवाना किया जाये।

टीम में कम से कम 04 सदस्य आवश्यकतानुसार पुलिस उपाधीक्षक/निरीक्षक/उप निरीक्षक के नेतृत्व में रखे जायें, जिनमें परिस्थिति के अनुसार वृद्धि की जाये।

2. दबिश में रवाना होने से पूर्व यह भी सुनिश्चित किया जाये कि अस्लाह एवं कारतूस कार्यशील स्थिति में हैं

3. वांछित अपराधी के आपराधिक इतिहास के आधार पर पर्यवेक्षण अधिकारी स्तर से दबिश हेतु रवाना होने वाली टीम को अच्छी तरह से ब्रीफ किया जाये तथा कुशल/दक्ष कार्मिकों को ही टीम में सम्मिलित किया जाये

4. यदि वांछित अपराधी की गिरफ्तारी हेतु अन्य थाना क्षेत्र में दबिश दी जानी हो तो सम्बन्धित थाना प्रभारी एवं पर्यवेक्षण अधिकारी से भी समन्वय कर स्थानीय पुलिस की मद्द ली जाये।

5. गिरफ्तारी स्थल पर पहुंचने से पूर्व उसकी भौगोलिक स्थिति (Indoor/Outdoor)के अनुसार टीम लीडर द्वारा पूरी टीम को ब्रीफ कर दक्षता के अनुसार टास्क निर्धारित किया जाये।

6. गिरफ्तारी/दबिश टीम के सदस्यों तथा अस्त्र/शस्त्र/बुलेट का विस्तृत विवरण रोजनामचा आम (जी0डी0) में अंकित किया जाये।

7. दिन/रात्रि दबिश के अनुसार आवश्यक तैयारियां की जायें।

8. मोबाइल लोकेशन आदि हेतु एसओजी/एसटीएफ से तकनीकी सहायता हेतु समन्वय किया जाये तथा आवश्यकता वायरलैस सेट का भी उपयोग किया जाये।

दबिश वाले स्थान पर कार्यवाहीः-

 

1. दबिश पर अभियुक्त द्वारा हमला किये जाने की सम्भावनाओं के दृष्टिगत पूर्ण सतर्कता बरती जाये तथा लीड मेम्बर की सपोर्टिंग हेतु अन्य टीम सदस्य भी पूरी तैयारी के साथ रहें।

2. विशेषकर आपराधिक इतिहास वाले अभियुक्तों की गिरफ्तारी टीम से जनपदीय पुलिस प्रभारी एवं अन्य जनपदीय अधिकारी लगातार सम्पर्क में रहकर आवश्यक निर्देश देते रहेंगे।

3. मौके पर टीम लीडर द्वारा वास्तविक भौगोलिक स्थिति का पुनः आंकलन कर Entry and Exit Points, Escape Routes को सुरक्षित कर टीम मेम्बर्स को उनके कार्य के सम्बन्ध में ब्रीफ किया जाये।

4. आवश्यकतानुसार अस्लाहों का प्रयोग किया जाये।

दबिश के उपरान्त गिरफ्तारी/घटना पर कार्यवाहीः-

1. अभियुक्त की गिरफ्तारी के दौरान दण्ड प्रक्रिया संहिता तथा मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अक्षरशः पालन किया जाये।

2. पुलिस अथवा अभियुक्त के घायल होने पर उच्चाधिकारियों को तत्काल सूचित कर घायलों को मेडिकल सहायता हेतु रवाना किया जाये।

3. अभियुक्त के भागने की स्थिति में टीम लीडर द्वारा तत्काल सर्व सम्बन्धित को सूचित कर कार्य आबंटित कार्मिकों से अभियुक्त का पीछा कराया जाये।

4. टीम लीडर द्वारा अभियुक्त के भागने की सूचना कन्ट्रोल रूम को भी तत्काल देकर सम्बन्धित बैरियर्स पर Checking/Frisking कराई जाये।

5. अभियुक्त तथा गिरफ्तारी स्थल के आस-पास की गहन तलाशी व्ययसायकि दक्षता से करायी जाये।

6. घटनास्थल को संरक्षित कर प्रदर्शों को टीम के सदस्यों से संकलित कराया जाये।

7. अभियुक्त की गिरफ्तारी पर नियमानुसार कारण गिरफ्तारी से अभियुक्त/परिजनों को सूचित कराया जाये तथा अभियुक्त का मेडिकल परीक्षण भी अवश्य कराया जाये।

8. आवश्यकतानुसार घटना के क्षेत्राधिकार वाले थाने पर नियमानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट भी अंकित कराई जाये

इन निर्देशों के अक्षरशः पालन कराना सुनिश्चित करने को भी कहा गया है ।

इसी के साथ चेतावनी जारी करते हुए कहा गया है कि भविष्य में किसी प्रकार की लापरवाही पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही की जायेगी

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