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बड़ी खबर : उत्तराखंड के लाखों लोगों को राहत, जमीनों के दाखिल-ख़ारिज इत्यादि को लेकर बड़ा फैसला

उत्तराखंड में बीते कईं महीनों से सूबे के शहरी क्षेत्रों में नगर निगम,नगर पालिका में रह रहे व्यक्तियों के लिये अच्छी खबर है.
उत्तराखंड सरकार भू-राजस्व कानून को लेकर एक अध्यादेश लेकर आयी है.
> उत्तराखंड के लाखों लोगों को मिलेगी राहत
> नगर निगम,पालिका इत्यादि पर दिखेगा असर
> हो सकेंगें,दाखिल-खारिज,भू-सीमांकन इत्यादि
> उत्तराखंड सरकार ने जारी की अधिसूचना
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रजनीश प्रताप सिंह ‘तेज’

देहरादून :

लाखों लोगों को राहत

उत्तराखंड के लाखों लोगों के लिये राहत भरी खबर है.

सूबे की सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से नगर पालिका,नगर निगम,नगर पंचायत इत्यादि क्षेत्रों में भू-राजस्व अधिनियम की पूर्व की स्थिति बहाल कर दी है.

जिससे अब आम जनता को भारी सुविधा हो सकेगी.

सरल शब्दों में वस्तु स्थिति इस प्रकार है

31 अगस्त 2022 को उत्तराखंड सरकार के द्वारा सरकारी गजट प्रकाशित करते हुए राज्यपाल द्वारा अध्यादेश Ordinance की अधिसूचना जारी की गई है.

जिसके तहत उत्तराखंड के नगर निगम ,नगर पालिका ,नगर पंचायत इत्यादि क्षेत्रों में भू राजस्व कानून के प्रावधान लागू होंगे.

क्या पड़ेगा प्रभाव

परवादून बार एसोसिएशन के महासचिव एडवोकेट मनोहर सिंह सैनी के द्वारा उत्तराखंड सरकार की इस अधिसूचना पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि इससे आम जनता को बड़ी सुविधा हो सकेगी.

नगरपालिका,नगर निगम इत्यादि के अंतर्गत रहने वाले व्यक्तियों के भी राजस्व अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न वाद और कार्यों की पुनः सुनवाई और निस्तारण हो सकेंगें.

हो सकेंगे दाखिल खारिज इत्यादि

बीते कई महीनों से उत्तराखंड के लाखों लोग जो नगर पालिका ,नगर निगम इत्यादि क्षेत्रों में रह रहे हैं अपनी जमीन की रजिस्ट्री तो करवा पा रहे थे लेकिन उनके दाखिल खारिज Mutation नहीं हो पा रहे थे.

न ही उनकी भूमि का सीमांकन हो पा रहा था.

ऐसे व्यक्तियों के 33/39 भू-राजस्व अधिनियम Land Revenue Act के अंतर्गत आदेश में त्रुटि होने पर उसका दुरुस्तीकरण भी नहीं हो पा रहा था.

लेकिन अब उत्तराखंड सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद नगर पालिका ,नगर निगम इत्यादि क्षेत्रों में रहे व्यक्तियों के भू-राजस्व अधिनियम के तहत दाखिल खारिज ,भूमि सीमांकन, आदेश त्रुटि दुरुस्तीकरण इत्यादि कार्य हो सकेंगे.

जिससे आम जनता को एक बड़ी राहत की सांस मिलेगी.

उत्तराखंड सरकार ने जारी की अधिसूचना

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने एक अध्यादेश उत्तराखंड (उत्तर-प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम,1901) (संशोधन) प्रख्यापित किया है.

31 अगस्त 2022 को उत्तराखंड सरकार के द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है.

जिसके तहत धारा 1 में संशोधन

संपूर्ण उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 (उत्तराखंड राज्य में यथा प्रवृत्त) की धारा 3 के अंतर्गत घोषित समस्त वृहत्तर नगरीय क्षेत्र एवं उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 उत्तराखंड राज्य में यथा प्रवृत्ति की धारा 3 के अंतर्गत घोषित हुए समस्त संक्रमणशील क्षेत्र लघुत्तर नगरीय क्षेत्र भी सम्मिलित हैं.

मूल अधिनियम की धारा 233 के पश्चात नई धारा निम्नवत अंतर स्थापित कर दी जाएगी

अर्थात

233 क

किसी अन्य अधिनियम या किसी न्यायालय के किसी निर्णय /डिक्री /आदेश या दिशानिर्देशों में उस से असंगत किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के प्रावधान विधिमान्य एवं प्रभावी समझें जाएंगे.

क्या थी पहले की स्थिति सिलसिलेवार समझिये

क्या थी कानूनी पेचीदगी ?

प्राप्त जानकारी के अनुसार रिट संख्या -2414/2020 में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा पारित आदेश दिनांक 16.12.2020 के अनुसार प्रदेश के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन क्षेत्रांतर्गत लंबित नामान्तरण/दाखिल खारिज के प्रकरणों का भू राजस्व अधिनियम की धारा-34 व 35 की प्रक्रिया के अंतर्गत निस्तारण करना उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना बताया गया था.

इसके अतिरिक्त रिट पिटीशन संख्या 709/2022 ,संतोष अग्रवाल बनाम कमिश्नर गढ़वाल,माननीय उच्च न्यायालय,नैनीताल में भी उपरोक्त निर्णय को सही ठहराया गया है.

सरल शब्दों में समझिये

सरल शब्दों में इसका अर्थ यह हुआ कि उत्तराखंड के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन/नगर निगम/नगर पालिका इत्यादि के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली भूमि के दाखिल खारिज,सीमांकन इत्यादि मामलों का निस्तारण भू-राजस्व अधिनियम के तहत न होकर संबंधित नगर पालिका,नगर निगम इत्यादि के द्वारा किया जाना था.

क्या थी व्यवहारिक दिक्कत ?

इन मामलों में प्रैक्टिकल समस्या यह थी कि नगर पालिका/नगर निगम इत्यादि में पटवारी(लेखपाल),तहसीलदार जैसे भूमि की नाप-जोख,भू-अभिलेख का रिकॉर्ड बनाने इत्यादि कार्यों के लिये निपुण (एक्सपर्ट) कर्मचारी व अधिकारी उपलब्ध नही हैं.

इसके साथ ही नगर पालिका व नगर निगम इत्यादि के पास वर्तमान में भू-राजस्व से ऐसे कोई अभिलेख भी प्राप्त नही हैं जिनसे उनके क्षेत्र अंतर्गत भूमि की सही-सही वास्तविक और व्यावहारिक जानकारी हो.

लेकिन अब उत्तराखंड सरकार के द्वारा अध्यादेश लाने के बाद पहले की तरह नगर पालिका,नगर निगम इत्यादि के निवासियों के मामलों की सुनवाई और निस्तारण भी भू-राजस्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत हो सकेंगें.

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